मध्य प्रदेश में गीता जयंती 2024: एक भव्य उत्सव की तैयारी
Mohan Yadav on Geeta Jayanti 2024: मध्य प्रदेश में गीता जयंती भव्य तरीके से मनाई जाएगी। :
परिचय:
Geeta Jayanti 2024:भारत में हर साल कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से एक खास पर्व है गीता जयंती, जिसे हर साल भगवद गीता के संवाद के रूप में मनाया जाता है। गीता, जो हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जीवन के कई पहलुओं पर हमें मार्गदर्शन देती है।
इस साल, 2024 में गीता जयंती को मध्य प्रदेश में एक भव्य तरीके से मनाने की घोषणा की है मुख्यमंत्री मोहन यादव ने। इस लेख में हम गीता जयंती के महत्व, मध्य प्रदेश में इसके आयोजन की तैयारी और राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
गीता जयंती का महत्व
भगवद गीता महाभारत के भीष्म पर्व में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद के रूप में दी गई थी। इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे कर्म, भक्ति, ज्ञान और योग के बारे में उपदेश दिए। गीता का संदेश आज भी हर व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है और हमें जीवन में हर कठिनाई का सामना सकारात्मकता और धैर्य से करने की सीख देती है।
गीता जयंती माघ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जो इस साल 15 दिसंबर 2024 को है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण के गीता में दिए गए उपदेशों को याद करने और उनके संदेशों को फैलाने का होता है।
मध्य प्रदेश में गीता जयंती का ऐतिहासिक महत्व
मध्य प्रदेश का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यहाँ पर कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं, जैसे उज्जैन, ओंकारेश्वर, और कांची, जो गीता जयंती के आयोजनों का हिस्सा बनेंगे। राज्य की सरकार ने गीता जयंती को भव्य रूप से मनाने का निर्णय लिया है, ताकि गीता के संदेश को लोगों तक पहुँचाया जा सके और राज्य की धार्मिक धरोहर को उजागर किया जा सके।
मुख्यमंत्री मोहन यादव की घोषणा
मुख्यमंत्री मोहान यादव ने घोषणा की कि इस बार गीता जयंती का आयोजन राज्य भर में बड़े पैमाने पर किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम गीता के संदेश को लोगों तक पहुँचाने के लिए कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। इस दिन हम धार्मिक आयोजन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे, जो हमारे राज्य की समृद्ध धरोहर को दिखाएंगे।”
गीता जयंती 2024 के आयोजन की विशेषताएँ
- धार्मिक आयोजन:
गीता जयंती के दिन राज्य के सभी प्रमुख मंदिरों में पूजा और पाठ का आयोजन होगा। विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में श्रद्धालु पूजा करने आएंगे। इसके अलावा, गीता के श्लोकों का कीर्तन और पाठ भी होगा। - सांस्कृतिक कार्यक्रम:
इस दिन कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे, जैसे नृत्य, संगीत और नाटक। यह कार्यक्रम गीता के संदेश को फैलाने के साथ-साथ प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करेंगे। - समाज में जागरूकता अभियान:
गीता जयंती के अवसर पर गीता के संदेश को समाज में फैलाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत गीता के उपदेशों को समझाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ और आयोजन होंगे। - गीता ज्ञान प्रतियोगिताएँ:
स्कूलों और कॉलेजों में गीता पर आधारित ज्ञान प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी। इस पहल से विद्यार्थियों को गीता के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में उतारने का अवसर मिलेगा। - प्रदर्शनी और पुस्तक मेला:
गीता जयंती के अवसर पर गीता से संबंधित प्रदर्शनी और पुस्तक मेला भी लगेगा। इसमें गीता के विभिन्न रूपों और भाषाओं में संस्करणों को प्रदर्शित किया जाएगा।
मध्य प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करना
मध्य प्रदेश में गीता जयंती के आयोजन से राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिलेगा। प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे उज्जैन, ओंकारेश्वर, और कांची में बड़े पैमाने पर आयोजन होंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव का मानना है कि इस आयोजन के जरिए राज्य को एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा।
आध्यात्मिक एकता का संदेश
गीता जयंती का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, शांति और एकता का संदेश भी देता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि इस आयोजन के जरिए समाज में सामूहिक जागरूकता और एकता बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। गीता के उपदेशों को जीवन में उतारने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है, और यह समाज को एकजुट करता है।
निष्कर्ष
गीता जयंती 2024 का आयोजन मध्य प्रदेश में एक भव्य और ऐतिहासिक रूप से होगा। यह न केवल धार्मिक उत्सव होगा, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर करेगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव का यह कदम गीता के संदेश को फैलाने और समाज में जागरूकता बढ़ाने का एक बेहतरीन प्रयास है। इस आयोजन से गीता के अद्भुत उपदेशों को समझने और जीवन में उतारने का अवसर मिलेगा, और प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान मजबूत होगी।
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