Press "Enter" to skip to content

mudra yojana ke shishu lon मुद्रा योजना के शिशु लोन अकाउंट्स में FY19 से गिरावट: एक गहरी समीक्षा

Table of Contents

Mudra Yojana Shishu Loan Accounts Decline Since FY19: A Deep Review मुद्रा योजना के शिशु लोन अकाउंट्स में FY19 से गिरावट: एक गहरी समीक्षा

Mudra Yojana Shishu Loan Accounts Decline Since FY19: A Deep Reviewमुद्रा योजना के शिशु लोन अकाउंट्स में FY19 से गिरावट: एक गहरी समीक्षा

मुद्रा योजना के शिशु लोन अकाउंट्स में FY19 से गिरावट: एक गहरी समीक्षा

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसे अप्रैल 2015 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य छोटे व्यापारों, सूक्ष्म उद्योगों और अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और देशभर में उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत तीन प्रमुख श्रेणियाँ बनाई गई हैं — शिशु, किशोर और तरुण, जो विभिन्न व्यापारिक जरूरतों के लिए लोन प्रदान करती हैं।

शिशु लोन PM Mudra Loan Yojana Apply Online 2024श्रेणी, जो नए व्यवसायों और स्टार्ट-अप्स के लिए निर्धारित की गई है, में 50,000 रुपये तक के लोन शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य छोटे उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों, और छोटे व्यापारियों को उनके व्यापार की शुरुआत के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है, विशेष रूप से FY19 से, जब से शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट का रुझान देखा जा रहा है।

यह लेख शिशु लोन अकाउंट्स में FY19 से आई गिरावट की आलोचनात्मक समीक्षा करता है, इसके कारणों की पहचान करता है, और भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने में मुद्रा योजना की सफलता पर इसके प्रभावों का विश्लेषण करता है।


मुद्रा योजना का संक्षिप्त परिचय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2015 में लॉन्च की गई मुद्रा योजना का उद्देश्य छोटे और सूक्ष्म व्यवसायों को आसान और सस्ती वित्तीय सहायता प्रदान करना था। यह योजना छोटे उद्यमियों, व्यापारियों और घर-परिवार आधारित व्यवसायों के लिए विशेष रूप से लाभकारी रही है। मुद्रा योजना के तहत तीन प्रमुख श्रेणियाँ हैं:

  1. शिशु लोन: 50,000 रुपये तक का लोन, मुख्य रूप से नए स्टार्ट-अप्स और छोटे व्यापारियों के लिए।
  2. किशोर लोन: 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक, जो पहले से स्थापित व्यवसायों के लिए है।
  3. तरुण लोन: 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक, जो तेजी से बढ़ते व्यवसायों के लिए होता है।

2024 तक, इस योजना के तहत 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक के लोन वितरित किए गए हैं, लेकिन शिशु लोन अकाउंट्स की संख्या में FY19 से एक महत्वपूर्ण गिरावट आई है


FY19 से शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट

वित्त मंत्रालय और मुद्रा योजना पोर्टल के आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि FY19 के बाद से शिशु लोन अकाउंट्स की संख्या में गिरावट आई है। जबकि शुरुआत में मुद्रा योजना ने छोटे उद्यमियों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की थी, तब से शिशु लोन अकाउंट्स की संख्या में गिरावट आई है।

शिशु लोन वितरित करने का ट्रेंड (FY15 से FY23)

  1. FY15-FY18: योजना के शुरुआती वर्षों में शिशु लोन की संख्या तेजी से बढ़ी, और यह मुद्रा योजना के तहत वितरित कुल लोन का एक बड़ा हिस्सा था। इसके आसान आवेदन प्रक्रिया, कम ब्याज दरों और न्यूनतम दस्तावेजी आवश्यकताओं ने इसे अधिक लोकप्रिय बनाया।
  2. FY19: इस वर्ष, शिशु लोन वितरण में थोड़ी धीमी वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्षों के मुकाबले महज 7.5% थी।
  3. FY20-FY23: FY20 के बाद शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट का स्पष्ट संकेत मिला। साल दर साल वृद्धि की दर काफी घट गई, और FY23 तक शिशु लोन अकाउंट्स की संख्या FY19 के मुकाबले कम हो गई, हालांकि अन्य श्रेणियों (किशोर और तरुण) में लोन वितरण में वृद्धि हुई।

यह गिरावट मुद्रा योजना की सफलता पर सवाल उठाती है, खासकर शिशु श्रेणी के तहत।


शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट के कारण

शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं। इसमें संरचनात्मक समस्याएँ, समाजिक-आर्थिक बदलाव, और सूक्ष्म वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहे बदलाव शामिल हैं।

1. माइक्रो लोन की मांग में कमी

गिरावट का सबसे सीधा कारण माइक्रो लोन की मांग में कमी हो सकता है। शुरूआत में, बहुत से छोटे व्यवसायी और स्टार्ट-अप्स थे जो मुद्रा लोन के तहत उधारी लेने के लिए इच्छुक थे। लेकिन समय के साथ, प्रतिस्पर्धा और आर्थिक अनिश्चितता जैसी समस्याओं के कारण शिशु लोन की मांग कम हो गई।

इसके अलावा, डिजिटल प्लेटफार्मों की वृद्धि और पीयर-टू-पीयर लेंडिंग मॉडल के चलते लोग अब पारंपरिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों से शिशु लोन की बजाय अन्य विकल्पों का चुनाव करने लगे हैं।

2. COVID-19 महामारी का प्रभाव

COVID-19 महामारी ने छोटे व्यवसायों को गंभीर रूप से प्रभावित किया। जिन व्यवसायों ने शिशु लोन लिया था, उनमें से बहुत से व्यवसाय महामारी के कारण बंद हो गए या टिक नहीं पाए। लॉकडाउन, आपूर्ति श्रृंखलाओं में रुकावटें, और उपभोक्ता मांग में गिरावट ने इन व्यवसायों को कठिनाई में डाल दिया। आर्थिक मंदी के कारण शिशु लोन लेने वाले नए स्टार्ट-अप्स में भी गिरावट आई।

3. उधारी देने में बैंक और वित्तीय संस्थानों का जोखिम डर

समय के साथ, बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने शिशु लोन जैसे छोटे लोन देने में ज्यादा जोखिम उठाने से मना किया। बकाया राशि और लोन चुकता करने में देरी की वजह से, बैंकों ने छोटे और नए व्यवसायों को लोन देने में सतर्कता बरती। इससे शिशु लोन की संख्या में कमी आई।

4. वित्तीय समावेशन और अन्य योजनाओं का प्रभाव

भारत में वित्तीय समावेशन की दिशा में कई योजनाएँ और पहलें हुई हैं, जिनके तहत छोटे व्यापारियों और उद्यमियों को क्रेडिट मिल रहा है। स्टैंड अप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से भी छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता मिल रही है। इसके परिणामस्वरूप, कई लोग शिशु लोन की बजाय अन्य विकल्पों को चुनने लगे हैं।

इसके अलावा, डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स ने छोटे व्यवसायों के लिए तेजी से लोन वितरण और बेहतर शर्तें प्रदान की हैं, जिससे शिशु लोन से बाहर जाने का रुझान बढ़ा है।

5. प्रशासनिक समस्याएँ और उधारी चुकता करने में समस्या

हालाँकि सरकार ने मुद्रा लोन प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास किया, लेकिन प्रशासनिक जटिलताएँ और कागजी कार्रवाई की समस्याएँ अभी भी शिशु लोन वितरण में रुकावट डालती हैं। कई आवेदनकर्ताओं को आवश्यक दस्तावेज़ों की कमी के कारण लोन प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

इसके अलावा, वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण कई उधारकर्ता अपने व्यवसायों को ठीक से चलाने में असमर्थ रहते हैं, जिसके कारण समय पर उधारी चुकता नहीं कर पाते हैं।


शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट के प्रभाव

शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट के कई महत्वपूर्ण प्रभाव हैं, जो मुद्रा योजना और भारत की व्यापक आर्थिक व्यवस्था पर असर डाल सकते हैं।

1. उद्यमिता और रोजगार सृजन पर प्रभाव

मुद्रा योजना का प्रमुख उद्देश्य उद्यमिता को बढ़ावा देना था, विशेष रूप से छोटे और सूक्ष्म व्यवसायों के बीच। शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट यह संकेत देती है कि कम नए उद्यमी व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, जो रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के लिए एक नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

2. वित्तीय समावेशन के लक्ष्य पर असर

मुद्रा योजना का उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना था, यानी छोटे और सीमांत व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करना। शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट से यह लक्ष्य प्रभावित हो सकता है, यदि छोटे व्यवसायों को अब लोन मिलना मुश्किल हो।

3. नीति सुधार की आवश्यकता

शिशु लोन अकाउंट्स में गिरावट नीति में सुधार की आवश्यकता को दर्शाती है। शिशु श्रेणी में लोन वितरण को फिर से प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को योग्यता मापदंडों में बदलाव, दस्तावेज़ी आवश्यकताओं में कमी, और वित्तीय साक्षरता पहलों को बढ़ावा देना चाहिए।


निष्कर्ष

FY19 से शिशु लोन अकाउंट्स में आई गिरावट मुद्रा योजना के लिए एक गंभीर चुनौती है, जो भारत में उद्यमिता और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख पहल रही है। हालांकि योजना ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है, लेकिन शिशु ल

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Mission News Theme by Compete Themes.